पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने दो दशक से अधिक समय की कानूनी लड़ाई के बाद पंजाब पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी बीएस दानेवालिया की पेंशन को फिर से निर्धारित करने का आदेश दिया है। एकल पीठ के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर कार्रवाई करते हुए खंडपीठ ने पंजाब सरकार को डीजीपी के पद के वेतनमान के आधार पर उनकी पेंशन को संशोधित करने का निर्देश दिया।
1970 के दशक के उत्तरार्ध से चल रहे इस मामले में न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की पीठ द्वारा दिया गया निर्देश महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब यह विवाद सुलझ गया है और न्यायालय ने 1986 से ब्याज सहित पूर्वव्यापी पेंशन समायोजन का आदेश दिया है। उनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव आत्मा राम और वकील संदीप कुमार ने किया।
सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि दानेवालिया को पंजाब में आईजीपी नियुक्त किया गया था। उस समय वे राज्य पुलिस बल के प्रमुख थे, जिनका वेतनमान 2,500 से 2,750 रुपये था और उन्हें 250 रुपये प्रति माह का विशेष वेतन मिलता था। 20 फरवरी, 1980 को पंजाब में अकाली सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और अपीलकर्ता को आईजीपी के पद से हटाकर गैर-कैडर पद पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया। पंजाब में पुलिस पदानुक्रम में बड़े बदलाव से कुछ महीने पहले ही दानेवालिया ने 5 जून, 1980 को समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली।
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