Punjab-Haryana Water Dispute (आज समाज), चंडीगढ़ : हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे पानी विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। एक तरफ जहां हरियाणा पानी रोके जाने के बाद पहले केंद्र सरकार उसके बाद हाईकोर्ट पहुंचा था। वहीं पंजाब सरकार अपने रुख पर कायम है कि उनके पास देने के लिए अतिरिक्त पानी बिल्कुल भी नहीं है। इसी बीच मंगलवार को हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय ने इस गंभीर मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा कि दो पड़ोसी राज्यों के बीच पानी को लेकर इतना ज्यादा विवाद नहीं होना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि जो हम दुश्मन देश के साथ ऐसा कर रहे हैं, राज्यों के बीच ऐसा नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पंजाब पुलिस बीबीएमबी के काम में दखल नहीं देगी, हरियाणा के पानी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार से संपर्क करेगी। साथ ही कोर्ट ने हरियाणा के पानी के मामले में दखल से इनकार करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है।
पानी को लेकर ये बोले थे सीएम मान
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि भाजपा ने जबरदस्ती गैर-संवैधानिक और गैर-कानूनी ढंग से बीबीएमबी की बैठक बुलाई और एक प्रस्ताव पारित किया कि पंजाब को अपने हिस्से के पानी में से हरियाणा को पानी देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह सदन की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि स्पष्ट तौर पर दृढ़ता से यह ऐलान करता है कि पंजाब सरकार अपने हिस्से में से हरियाणा को एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सिर्फ पीने के लिए जो पानी दिया जा रहा है, वही दिया जाएगा, इसके अलावा अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी नहीं दी जाएगी।
बीबीएमबी का आदेश नहीं मानेगा पंजाब
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन भारतीय जनता पार्टी द्वारा गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक तरीके से बीबीएमबी की बैठक बुलाए जाने की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा कि पंजाब अब भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड को नहीं मानेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब अब बीबीएमबी के पानी से जुड़े किसी भी फैसले को नहीं मानेगा और सतलुज और ब्यास नदियों का पानी सिर्फ और सिर्फ पंजाब का है और हम अब इस पानी का पूरा उपयोग करेंगे।
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