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पंजाब विधानसभा द्वारा पंजाब वस्तुएँ और सेवाएँ कर (संशोधन) बिल, 2025 और पंजाब सहकारी सभाएँ (संशोधन) बिल, 2025 सर्वसम्मति से पास


चंडीगढ़:वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा द्वारा आज पंजाब विधानसभा में पेश किए गए पंजाब वस्तुएँ और सेवाएँ कर (संशोधन) बिल, 2025 और पंजाब सहकारी सभाएँ (संशोधन) बिल, 2025 को सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया।

पंजाब वस्तुएँ और सेवाएँ कर (संशोधन) बिल, 2025 पर बोलते हुए, मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह कानून पंजाब वस्तुएँ और सेवाएँ टैक्स एक्ट, 2017 के कई भागों में संशोधन का प्रस्ताव रखता है, जिसमें धारा 2, 12, 13, 17, 20, 34, 38, 39, 107, 112 और अनुसूची III शामिल हैं, जबकि नई धाराएँ 122A और 148A भी शामिल की गई हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वस्तुएँ और सेवाएँ टैक्स एक्ट, 2017 के उपबंधों के साथ संगति सुनिश्चित करना है, जिसे हाल ही में वित्त एक्ट, 2025 द्वारा संशोधित किया गया है।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के एक लेख का हवाला देते हुए जीएसटी प्रणाली को लेकर विपक्षी नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा उठाई गई चिंताओं पर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने याद दिलाया कि जीएसटी का प्रस्ताव असल में 2006 में स्वयं श्री चिदंबरम द्वारा पेश किया गया था, लेकिन विरोध के कारण यूपीए सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने बाद में ‘वन-नेशन वन-टैक्स’ के सिद्धांत पर इसे आगे बढ़ाया, जिस पर पंजाब के तत्कालीन वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने दिल्ली में सहमति व्यक्त की थी। उस समय, केंद्र सरकार ने वादा किया था कि राज्यों की अर्थव्यवस्था के स्थिर होने तक मुआवज़ा शुल्क जारी रहेगा, लेकिन यह शुल्क वर्ष 2022 के बाद बंद कर दिया गया।

पंजाब पर जीएसटी प्रणाली के प्रतिकूल प्रभाव को उजागर करते हुए, वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि राज्य की जीएसटी से पहले की राजस्व तटस्थ दर 18.3 प्रतिशत थी, जो देश की औसत दर 14 प्रतिशत से काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब को आठ वर्षों में 1 लाख 11 हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि मुआवज़ा शुल्क से केवल 61,000 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। वित्त मंत्री ने बताया कि कई अन्य राज्य भी जीएसटी के कारण वित्तीय घाटे से जूझ रहे हैं, लेकिन भाजपा बहुमत वाली केंद्र सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी को पहली बार जीएसटी का प्रस्ताव रखने से पहले राज्यों के नुकसान की संभावना पर विचार करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पंजाब जैसे उत्पादक राज्य इसका खमियाज़ा भुगत रहे हैं क्योंकि जीएसटी एक उपभोक्ता-आधारित टैक्स है। वित्त मंत्री चीमा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राज्यों की अर्थव्यवस्था को अस्थिर न करने के लिए बार-बार की गई अपनी अपीलों का भी जिक्र किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि संघीय ढांचे के साथ समझौता किया गया, तो राज्य नगर कमेटियों के स्तर तक सीमित रह जाएँगी, जो केंद्र के अधीन खड़े रहेंगे।

वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा बाबा साहिब भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को योजनाबद्ध ढंग से कमजोर कर रही है। उन्होंने ‘एक राष्ट्र एक टैक्स’ और ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ जैसी नीतियों को संघीय ढांचे के लिए विनाशकारी बताते हुए। उन्होंने दोहराया कि आम आदमी पार्टी ऐसी सभी नीतियों का विरोध करती है, लेकिन साथ ही दोहराया कि जीएसटी प्रस्ताव कांग्रेस पार्टी से ही आया था।


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