लुधियाना, 20 जुलाई: डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन द्वारा गठित एक समिति ने रविवार को लुधियाना के विभिन्न प्रमुख स्थानों पर छापेमारी कर 18 बच्चों को वयस्कों के साथ भीख मांगते हुए रेस्क्यू किया। यह कार्रवाई "प्रोजेक्ट जीवनजोत-2" के तहत की गई, जिसका उद्देश्य डीएनए जांच द्वारा बच्चों और वयस्कों के बीच रिश्ते की पुष्टि करना है ताकि बाल तस्करी और भिक्षावृत्ति के लिए बच्चों के शोषण को रोका जा सके।
छापेमारी रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और चौड़ा बाज़ार जैसे व्यस्त क्षेत्रों में की गई। ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी रश्मी सैनी ने यह संयुक्त अभियान लुधियाना सिटी पुलिस, रेलवे सुरक्षा बल, चाइल्डलाइन और बचपन बचाओ आंदोलन (बी बी ए) के साथ मिलकर चलाया। उन्होंने बताया कि ऐसे वयस्क जो किसी भी तरह से गैर-संबंधित बच्चों से भीख मंगवा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डीएनए जांच सोमवार से सिविल अस्पताल में शुरू होगी। जांच रिपोर्ट आने में 15–20 दिन लग सकते हैं, तब तक सभी रेस्क्यू किए गए बच्चों को सरकारी बाल देखरेख केंद्र, दोराहा में सुरक्षित रखा जाएगा। सैनी ने यह भी बताया कि अगर डीएनए रिपोर्ट में यह साबित होता है कि संबंधित वयस्क बच्चों के जैविक माता-पिता नहीं हैं, तो उनके खिलाफ बाल सुरक्षा और मानव तस्करी निरोधक कानूनों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब इस प्रकार की पहल करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जहां बाल तस्करी और भीख के लिए शोषण को रोकने के लिए डीएनए जांच का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से बचपन बचाओ आंदोलन से संदीप सिंह, मनप्रीत सिंह, प्रभजोत कौर, मनप्रीत कौर, वरिंदर सिंह, किरणदीप कौर, गगनदीप सिंह, चाइल्डलाइन से राजिंदर सिंह, आरपीएफ से मनोज कुमार, तरसेम सिंह और अन्य लोग उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि उपायुक्त हिमांशु जैन ने इस कार्रवाई के लिए एक विशेष समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता एडीसी (शहरी विकास) रूपिंदर पाल सिंह कर रहे हैं। समिति में ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक व सेकेंडरी), सिविल सर्जन, पुलिस कमिश्नर और नगर निगम के प्रतिनिधि शामिल हैं।
पिछले शुक्रवार को पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की उपाध्यक्ष गुंजीत रूचि बावा ने "जीवनज्योत 2.0" परियोजना की शुरुआत की घोषणा की थी। इस व्यापक पहल का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करना है। उन्होंने हर जिले में ज़िला स्तरीय टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए हैं।
हर टास्क फोर्स की अध्यक्षता उपायुक्त करेंगे और इसमें पुलिस आयुक्त/एसएसपी, सिविल सर्जन, जिला शिक्षा अधिकारी और श्रम अधिकारी जैसे प्रमुख अधिकारी शामिल होंगे। ये टास्क फोर्सेज़ पी एस सी पी सी आर के मार्गदर्शन में काम करेंगी और उन्हें परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हरसंभव सहयोग और समन्वय प्रदान किया जाएगा।
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