हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1158 सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों की भर्ती रद्द करने के कारण 1158 सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों की नियुक्ति पर रोक लग गई है और इसके साथ ही, इस फैसले से पंजाब में उच्च शिक्षा का भविष्य भी अंधकारमय होने वाला है। गौरतलब है कि यह भर्ती पंजाब सरकार द्वारा अक्टूबर, 2021 में विज्ञापन जारी करके निकाली गई थी। माननीय उच्च न्यायालय में इस भर्ती के विरुद्ध मामले की सुनवाई के बाद, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर, पंजाब सरकार द्वारा सभी सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों को कॉलेज में ज्वाइन करा लिया गया था, लेकिन जब इस भर्ती के विरुद्ध मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में गया, तो सरकार ने इस मामले में पैरवी नहीं की, जिसके कारण माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14 जुलाई, 2025 को बचाव पक्ष के अभाव में इस भर्ती को रद्द कर दिया गया, जिससे पंजाब की उच्च शिक्षा में गहरा संकट पैदा हो गया है और वहाँ कार्यरत युवाओं की नौकरियाँ जाने का खतरा पैदा हो गया है।
सरकारी कॉलेज लुधियाना में ज्वाइन करने वाले 1158 सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों की इकाई ने पंजाब सरकार की इस लापरवाही और द्वेषपूर्ण रवैये का विरोध किया।
इस भर्ती में चयनित सभी सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियन अपनी उच्च योग्यता रखते हैं। इसके साथ ही, यह भर्ती पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से की गई और इसमें नियुक्त सभी उम्मीदवारों का चयन योग्यता के अनुसार किया गया है। इन युवाओं की मांग है कि सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करे और इन युवाओं के रोजगार को सुरक्षित करने के साथ-साथ पंजाब की उच्च शिक्षा में आए इस गहरे संकट का समाधान करे। जो युवा अभी सरकारी कॉलेजों में दाखिला ले रहे हैं, उन्हें राहत न दी जाए। सरकार 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में उच्च स्तरीय कार्रवाई करे।
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