Punjab-Haryana Water Dispute, चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के पानी की खुली लूट और बीबीएमबी के दुरुपयोग के खिलाफ पंजाब सरकार ने निर्णायक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अध्यक्षता में 2 मई को सुबह 10 बजे पंजाब भवन, चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है, जिसमें राज्य की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया गया है। बैठक में केंद्र द्वारा हरियाणा को पंजाब के पानी का गैर-कानूनी आवंटन और बीबीएमबी (भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड) द्वारा पंजाब के अधिकारों के हनन जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक पंजाब के अधिकारों और संसाधनों की रक्षा के लिए एकजुटता की आवश्यकता को दर्शाती है।
राजनीतिक पार्टियों को एकजुट होने की अपील
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने स्पष्ट किया कि पंजाब के पानी की हर बूंद पर पंजाबियों का हक है, और कोई भी इसे छीन नहीं सकता। इसके तहत पंजाब सरकार ने 5 मई, सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है, जिसमें पानी के मुद्दे पर प्रस्ताव लाया जाएगा। भगवंत सिंह मान ने सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की है कि वे पार्टीबाजी से ऊपर उठकर पंजाब के अधिकारों के लिए एकजुट हों और इस लड़ाई को मजबूत होकर लड़ें। उन्होंने दोहराया कि पंजाब सरकार किसी भी कीमत पर राज्य के जल संसाधनों से समझौता नहीं करेगी।
पंजाब का पानी लूटना चाह रहा हरियाणा और केंद्र
आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब का पानी हरियाणा को अनुचित तरीके से आवंटित करने के प्रयासों के लिए भाजपा और केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के हालिया बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए चीमा ने उनपर कानूनी समझौतों और संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना करने का आरोप लगाया। चीमा ने कहा हरियाणा ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के तहत कानूनी समझौतों के अनुसार पहले ही अपने हिस्से के पूरे पानी का उपयोग कर लिया है।
पंजाब ने हमेशा कानून का पालन किया
चीमा ने कहा कि पंजाब ने हमेशा कानून और जल आवंटन संधियों की शर्तों का पालन किया है। लेकिन हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकार मिलकर इन समझौतों का उल्लंघन कर रही है। यह सरासर शक्तियों का दुरुपयोग है और भारत के संघीय ढांचे को भी कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है और जल संसाधनों पर बहुत अधिक निर्भर है। पंजाब अपने हिस्से के पानी को इस तरह गैरकानूनी और अनुचित ढंग से दूसरे राज्यों को देना बर्दाश्त नहीं कर सकता।
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