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Pahalgam Attack: अटारी बॉर्डर से वापस गए 191 पाकिस्तानी, क्यों नहीं लौट पाई महिलाएं? शौहर करते रहे इंतजार


अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर उस समय हंगामा हो गया जब बीएसएफ ने कुछ महिलाओं को पाकिस्तान जाने से रोक दिया। महिलाओं के शौहर उस पार उनका इंतजार करते रह गए, लेकिन बीएसएफ अधिकारियों ने महिलाओं को सहरद पार नहीं भेजा। पहलगाम हमले के बाद देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को उनके मुल्क वापस लौटने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया है। इसके तहत शुक्रवार को पंजाब के अमृतसर स्थित अटारी बॉर्डर से 191 पाकिस्तानी नागरिकों को सीमा पार भेजा गया। वहीं 287 भारतीय अटारी के रास्ते पाकिस्तान से भारत लौटे हैं। हालांकि इस दौरान कुछ पाकिस्तानी महिलाओं को बीएसएफ के अधिकारियों ने रोक लिया बॉर्डर पर ही रोक दिया और आगे जाने नहीं दिया। अधिकारियों का कहना था कि उनके पास पाकिस्तान की नागरिकता नहीं है। ऐसे में भारतीय पासपोर्ट वालों को पाकिस्तान नहीं जाने दिया जा सकता। जबकि महिलाओं के साथ आए बच्चों को जाने दिया गया। महिलाओं का कहना था कि वह भारत में पली बढ़ी हैं, लेकिन उनकी शादी पाकिस्तान में हुई है। वह अपने मायके आई हुई थीं। अधिकारियों ने दलीलें सुनने के बाद भी उन्हें आगे जाने की परमिशन नहीं दी। बॉर्डर पर रोके जाने पर शनिजा नाम की महिला ने बताया कि 15 साल पहले उसकी शादी कराची में हुई थी। उसके मायके दिल्ली में है और वह अपने माता-पिता से मिलने के लिए आई। सरकार के आदेश जारी होने के बाद वह वापस पाकिस्तान जाने के लिए अटारी बॉर्डर पर पहुंची तो यहां उसे रोक लिया गया। अब उसे वापस जाने की इजाजत नहीं दी जा रही। नागरिकता को लेकर उसका केस पाकिस्तान कोर्ट में चल रहा है। उसके शौहर वाघा बॉर्डर के पार मेरा इंतजार कर रहे हैं। मेरी बस इतनी अपील है कि मुझे अपने बच्चों के पास जाने दिया जाए। 


राजस्थान के जोधपुर की रहने वाली अफसीन जहांगीर ने कहा कि उसकी शादी कराची में हुई है। उसके बच्चे पाकिस्तानी नागरिक हैं। उन्हें तो बॉर्डर पार कर जाने दिया गया, लेकिन उसे रोक दिया गया।  इसी तरह पाकिस्तानी की रहने वाली अरूदा ने बताया कि उसकी शादी 20 साल पहले हुई थी। उसके दो बच्चे भी हैं। बच्चों के पास पाकिस्तानी नागरिकता है। वह अपने बच्चों के साथ एक महीना पहले अपने मायके परिवार से मिलने के लिए भारत आई थी। उनके पास 27 अप्रैल की वापसी की टिकट थी। लेकिन माहौल खराब होने के बाद वह पहले ही वापस जाने के लिए अटारी बॉर्डर पर पहुंच गए। लेकिन यहां पर उसे रोक दिया गया, किसी ने ढंग से बात तक नहीं की। हम तो बस अपने घर, अपने बच्चों के पास लौटना चाहते हैं। बच्चो को जाने दिया गया। जबकि उसे रोक लिया।

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